काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग :
'बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®â€™ का ना तो कोई नाम है और न रूप, इसलिठवह मन, वाणी आदि इनà¥à¤¦à¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ का विषय नहीं बनता है। वह तो सतà¥à¤¯ है, जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤®à¤¯ है, अननà¥à¤¤ है, आननà¥à¤¦à¤¸à¥à¤µà¤°à¥‚प और परम पà¥à¤°à¤•ाशमान है। वह निरà¥à¤µà¤¿à¤•ार, निराकार, निरà¥à¤—à¥à¤£, निरà¥à¤µà¤¿à¤•लà¥à¤ª तथा सरà¥à¤µà¤µà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¥€, माया से परे तथा उपदà¥à¤°à¤µ से रहित परमातà¥à¤®à¤¾ ..कलà¥à¤ª के अनà¥à¤¤ में अकेला ही था। कलà¥à¤ª के आदि में उस परमातà¥à¤®à¤¾ के मन में à¤à¤¸à¤¾ संकलà¥à¤ª उठा कि 'मैं à¤à¤• से दो हो जाऊà¤'। यदà¥à¤¯à¤ªà¤¿ वह निराकार है, किनà¥à¤¤à¥ अपनी लीला शकà¥à¤¤à¤¿ का विसà¥à¤¤à¤¾à¤° करने के उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ से उसने साकार रूप धारण कर à¤à¤—वान शिव ने अपनी शकà¥à¤¤à¤¿ और आà¤à¤¾ के साथ पंचकोशी नाम के à¤à¤• शहर की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ की। इस पंचकोशी शहर में à¤à¤—वान शिव ने à¤à¤• सà¥à¤‚दर पà¥à¤°à¥à¤· की रचना की, इस पà¥à¤°à¥à¤· का नाम उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने विषà¥à¤£à¥ रखा। इस पà¥à¤°à¥à¤· ने अनेको वरà¥à¤·à¥‹à¤‚ तक उसी सà¥à¤¥à¤² पर à¤à¤—वान शिव की आराधना की। जिसके परिणाम सà¥à¤µà¤°à¥à¤ª पंचकोशी में अनेक जलधाराओं का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ हो गया। इन जलधाराओं को देखकर विषà¥à¤£à¥ अतà¥à¤¯à¤§à¤¿à¤• विसà¥à¤®à¤¿à¤¤ हो गठतथा उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने जैसे ही अपना शीश à¤à¥à¤•ाया, उनके कान से निकल कर मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤®à¤¯ (मणिमय) कà¥à¤£à¥à¤¡à¤² गिर गया। जिस जगह पर यह मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¾à¤®à¤¯ कà¥à¤£à¥à¤¡à¤² गिरा था उस सà¥à¤¥à¤² का नाम मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•ा पड़ा। à¤à¤—वान शिव ने तब अपने तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल में पंच कोशी के मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•ा जल से à¤à¤°à¥‡ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° को गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लिया। तदोपरांत विषà¥à¤£à¥ की नाà¤à¤¿ से à¤à¤• कमल के पà¥à¤·à¥à¤ª का जनà¥à¤® हà¥à¤† जिस पर à¤à¤• पà¥à¤°à¥à¤· बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ विराजित थे। à¤à¤—वान शिव ने बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ को पचास करोड़ योजन के कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° पर सृषà¥à¤Ÿà¤¿ की सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ का आदेश दिया तथा विषà¥à¤£à¥ को उनके दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ रचित सृषà¥à¤Ÿà¤¿ के पालन का कारà¥à¤¯ दिया। अपने करà¥à¤®à¥‹à¤‚ और उसके बनà¥à¤§à¤¨ से लोगों को बचाने के लिठà¤à¤—वान शिव ने अपनी पंचकोशी नगरी को बà¥à¤°à¤¹à¥à¤®à¤¾ जी की इस सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से अलग कर लिया। तथा मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•ा जल से à¤à¤°à¤¾ कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° जिसे उनà¥à¤¹à¥‹à¤‚ने तà¥à¤°à¤¿à¤¶à¥‚ल में गà¥à¤°à¤¹à¤£ कर लिया था को बाहर निकाल कर बाहर रख दिया तथा सà¥à¤µà¤¯à¤‚ उदà¥à¤§à¤¾à¤°à¤•रà¥à¤¤à¤¾ मà¥à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¦à¤¾à¤¯ जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग रà¥à¤ª में उसी सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हो गà¤à¥¤ चूंकि काशी सृषà¥à¤Ÿà¤¿ से पहले à¤à¥€ थी और अंत तक रहेगी इसलिठइसे अविमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° और जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग को अविमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤‚ग कहा जाता है।
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का इतिहास
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का इतिहास समय में विनाश और पà¥à¤°à¥à¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ के इरà¥à¤¦ गिरà¥à¤¦ घूमता रहा है। ११९४ में पहली बार कà¥à¤¤à¥à¤¬-उद-दीन à¤à¤¬à¤• की सेना के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° को नषà¥à¤Ÿ किया गया था। जिसका पà¥à¤°à¥à¤¨ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ इलà¥à¤¤à¥à¤¤à¤®à¤¿à¤¶ के शासन के दौरान किया गया। जिसे बाद में फिर से सिकंदर लोदी के शासनकाल में फिर से धà¥à¤µà¤¸à¥à¤¤ कर दिया गया। अकबर के शासन काल में मनà¥à¤¦à¤¿à¤° को à¤à¤• बार फिर से राजा मान सिंह के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ बनवाया गया। जिसे बाद में मà¥à¥šà¤² शासक औरंगजेब ने नषà¥à¤Ÿ कर दिया किनà¥à¤¤à¥ कचà¥à¤› की रानी के कहने पर की मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का पà¥à¤¨à¤ƒ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाठतो उसने अपने धारà¥à¤®à¤¿à¤• विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ के कारण वह पर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया तथा मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤ªà¥€ कूप के नाम पर मसà¥à¤œà¤¿à¤¦ को जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤ªà¥€ नाम दिया।
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° की वासà¥à¤¤à¥ सà¥à¤‚दरता
वाराणसी शहर में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ à¤à¤—वान शिव का यह मनà¥à¤¦à¤¿à¤° हिंदà¥à¤“ं के पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ में से à¤à¤• है, जो कि गंगा नदी के पशà¥à¤šà¤¿à¤®à¥€ तट पर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। जिसमे अननà¥à¤¤ काल से à¤à¤—वान शिव के जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤²à¤¿à¤™à¥à¤— सà¥à¤µà¤°à¥‚प की पूजा होती है। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में मà¥à¤–à¥à¤¯ देवता का शिवलिंग विगà¥à¤°à¤¹ 60 सेंटीमीटर (24 इंच) लंबा और 90 सेंटीमीटर (35 इंच) परिधि में à¤à¤• चांदी की वेदी में रखा गया है।
मà¥à¤–à¥à¤¯ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° à¤à¤• चतà¥à¤°à¥à¤à¥à¤œ आकार में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है और अनà¥à¤¯ देवताओं के मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ से घिरा हà¥à¤† है। परिसर में विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ छोटे-छोटे मनà¥à¤¦à¤¿à¤° जिनके देवता काल à¤à¥ˆà¤°à¤µ, कारà¥à¤¤à¤¿à¤•ेय, अविमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤°, विषà¥à¤£à¥, गणेश, शनि, शिव और पारà¥à¤µà¤¤à¥€ है, सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ हैं। मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के उतà¥à¤¤à¤° में à¤à¤• छोटा कà¥à¤†à¤‚ है जिसे जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤ªà¥€ कूप कहा जाता है। जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ शिवलिंग काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मंदिर के गरà¥à¤ दà¥à¤µà¤¾à¤° के à¤à¥€à¤¤à¤° जाते ही चाà¤à¤¦à¥€ के ठोस हौदे के बीच सोने की गोरी पीठपर जà¥à¤¯à¥‹à¤¤à¤¿à¤°à¥à¤®à¤¯ काशी विशà¥à¤µà¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° लिंग का अलà¤à¥à¤¯ दरà¥à¤¶à¤¨ मिलता है। शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के परिसर के à¤à¥€à¤¤à¤° ही नहीं अपितॠबाहर और à¤à¥€ अनेक देव- मूरà¥à¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¤ हैं। विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पशà¥à¤šà¤¿à¤® में बने मणà¥à¤¡à¤ª के बीचो- बीच à¤à¤—वान वेंकटेशà¥à¤µà¤° की लिंग मूरà¥à¤¤à¤¿ है। दकà¥à¤·à¤¿à¤£ ओर के मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में अविमà¥à¤•à¥à¤¤à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° लिंग है। सिंह दà¥à¤µà¤¾à¤° के पशà¥à¤šà¤¿à¤® में सतà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£à¤¾à¤¦à¤¿ देव विगà¥à¤°à¤¹ हैं। सतà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤°à¤¾à¤¯à¤£ मंदिर के उतà¥à¤¤à¤° में शनेशà¥à¤µà¤° लिंग है। इनके समीप दणà¥à¤¡à¤ªà¤¾à¤£à¥€à¤¶à¥à¤µà¤° पशà¥à¤šà¤¿à¤® के मणà¥à¤¡à¤ª में ही हैं। इसके उतà¥à¤¤à¤° à¤à¤• मनà¥à¤¦à¤¿à¤° में जगतà¥à¤®à¤¾à¤¤à¤¾ पारà¥à¤µà¤¤à¥€ देवी की दिवà¥à¤¯ मूरà¥à¤¤à¤¿ है। इसी गलियारे के अंतिम कोने में शà¥à¤°à¥€ विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ जी के ठीक सामने माठअनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ विराजमान हैं।
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° कॉरिडोर
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° कॉरिडोर
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इतिहास के पनà¥à¤¨à¥‹à¤‚ को पलटने पर जà¥à¤žà¤¾à¤¤ होता है कि शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° 11 वीं सदी में राजा हरिशà¥à¤šà¤‚दà¥à¤° के दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ करवाया गया था। सन 1777-80 में औरंगजेब दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ नषà¥à¤Ÿ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° इंदौर की महारानी अहिलà¥à¤¯à¤¾à¤¬à¤¾à¤ˆ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ इस मनà¥à¤¦à¤¿à¤° का अपने पूरà¥à¤µ सà¥à¤¥à¤² से हट कर पà¥à¤¨à¤ƒ निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया गया।
बाद में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सà¥à¤µà¤°à¥à¤£ पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ से मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के शिखरों को सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ करवाया। गà¥à¤µà¤¾à¤²à¤¿à¤¯à¤° की महारानी बैजाबाई ने जà¥à¤žà¤¾à¤¨à¤µà¤¾à¤ªà¥€ के मंडप का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ करवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ करवाई। बाबा विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ की नगरी काशी को देवताओं का वास सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ माना जाता है। यहां बाबा विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के अतिरिकà¥à¤¤ अनà¥à¤¯ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ की à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ समय-समय पर की गई जिनका बनारस के जनमानस के दिलों में अतà¥à¤¯à¤‚त पवितà¥à¤° सà¥à¤¥à¤¾à¤¨ है। जिनमें से कई में बाबा विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ के दरà¥à¤¶à¤¨ उपरांत दरà¥à¤¶à¤¨ करना शà¥à¤ à¤à¤µà¤‚ अनिवारà¥à¤¯ माना जाता है।
शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ धाम में माता अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ का मंदिर à¤à¥€ सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। जो अतà¥à¤¯à¤‚त महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° है। दिनांक 15-11-2021 को कनाडा के संगà¥à¤°à¤¹à¤¾à¤²à¤¯ से पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ माता अनà¥à¤¨à¤ªà¥‚रà¥à¤£à¤¾ की मूरà¥à¤¤à¤¿ जो 108 वरà¥à¤· पहले à¤à¤¾à¤°à¤¤ से वहां ले जाई गयी थी, देश के यशसà¥à¤µà¥€ पà¥à¤°à¤§à¤¾à¤¨à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ नरेंदà¥à¤° मोदी जी के अथक पà¥à¤°à¤¯à¤¾à¤¸à¥‹ से à¤à¤¾à¤°à¤¤ वापस लाई गई, जिसकी सà¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¨à¤¾ पà¥à¤°à¤¦à¥‡à¤¶ के लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯ मà¥à¤–à¥à¤¯à¤®à¤‚तà¥à¤°à¥€ शà¥à¤°à¥€ योगी आदितà¥à¤¯à¤¨à¤¾à¤¥ जी महाराज ने 15-11-2021 को शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ धाम में की।
शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ धाम का नव à¤à¤µà¥à¤¯ सà¥à¤µà¤°à¥‚प
शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ धाम का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर के अतिरिकà¥à¤¤ निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ à¤à¤µà¤¨à¥‹à¤‚ तथा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व धारà¥à¤®à¤¿à¤• महतà¥à¤µ की संरचनाà¤à¤‚ हैं। कॉरिडोर निरà¥à¤®à¤¾à¤£ / विसà¥à¤¤à¤¾à¤° के दौरान आसपास के घरों के अंदर सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ 27 मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ को उनके विगà¥à¤°à¤¹ के सहित पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ हà¥à¤à¥¤ इन सà¤à¥€ 27 मनà¥à¤¦à¤¿à¤°à¥‹à¤‚ का पà¥à¤°à¤¾à¤¤à¤¨ à¤à¤µà¥à¤¯à¤¤à¤¾ के साथ जीरà¥à¤£à¥‹à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤° करके à¤à¤• अमूलà¥à¤¯ मणिमाला की तरह पà¥à¤¨à¤°à¥à¤¸à¥à¤¥à¤¾à¤ªà¤¿à¤¤ किया गया है। निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ नवीन परिसर की विशेषताà¤à¤‚ निमà¥à¤¨ है –
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ मनà¥à¤¦à¤¿à¤°
मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर
शà¥à¤°à¥€ काशी विशà¥à¤µà¤¨à¤¾à¤¥ धाम का मà¥à¤–à¥à¤¯ आकरà¥à¤·à¤£ मनà¥à¤¦à¤¿à¤° परिसर है जिसके पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ पथ में चार à¤à¤µà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¥‹à¤‚ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ किया गया है। वासà¥à¤¤à¥à¤•ला के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त काशी की वासà¥à¤¤à¥ कला तथा आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• à¤à¤¾à¤µ को समाहित करते हà¥à¤ परिसर को मेहराब, बेलबूटे, सà¥à¤¤à¤‚à¤à¥‹à¤‚ की बनावट, पà¥à¤°à¤¦à¤•à¥à¤·à¤¿à¤£à¤¾ मारà¥à¤— तथा पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤° की जालियों से सà¥à¤¸à¤œà¥à¤œà¤¿à¤¤ किया गया है।
वाराणसी गैलरी
इस à¤à¤µà¤¨ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² 375 वरà¥à¤— मीटर है। उकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤¨ मलà¥à¤Ÿà¥€à¤ªà¤°à¤ªà¥à¤¸ हॉल और सिटी मà¥à¤¯à¥‚जियम के बीच करà¥à¤£à¥‡à¤¶à¥à¤µà¤° महादेव मनà¥à¤¦à¤¿à¤° के पास सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। उकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤¨ की आंतरिक दीवारों पर चितà¥à¤°à¥‹à¤‚ के माधà¥à¤¯à¤® से आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• व धारà¥à¤®à¤¿à¤• आखà¥à¤¯à¤¾à¤¨à¥‹à¤‚ का उलà¥à¤²à¥‡à¤– किया गया है।
सिटी मà¥à¤¯à¥‚जियम
इस à¤à¤µà¤¨ का कà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤°à¤«à¤² 1143 वरà¥à¤— मीटर है, जो वाराणसी गैलरी व मà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤·à¥ à¤à¤µà¤¨ के बीच में सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। यह à¤à¤µà¤¨ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ को पà¥à¤°à¤¾à¤šà¥€à¤¨ वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के बारे में जानकारी पà¥à¤°à¤¾à¤ªà¥à¤¤ करने की सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त बनाया गया है।
मà¥à¤®à¥à¤•à¥à¤·à¥ à¤à¤µà¤¨
उपरोकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤¨ 1161 वरà¥à¤—मीटर में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है जो मनà¥à¤¦à¤¿à¤° चौक के à¤à¤µà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤° के ठीक बाद सà¥à¤¥à¤¿à¤¤ है। इसे आने वाले सà¤à¥€ वृदà¥à¤§ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ व असà¥à¤µà¤¸à¥à¤¥ लोगों की देखà¤à¤¾à¤² के लिठनिरà¥à¤®à¤¿à¤¤ किया गया है।
मंदिर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
मंदिर पà¥à¤°à¤µà¥‡à¤¶ दà¥à¤µà¤¾à¤°
वैदिक केंदà¥à¤°
यह à¤à¤µà¤¨ 986 वरà¥à¤—मीटर में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। à¤à¤µà¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤°à¤¦à¤°à¥à¤¶à¤¨à¥€, सà¤à¤¾ / समारोह आयोजित करने हेतॠकिया गया है।
टूरिसà¥à¤Ÿ फैसिलिटी सेंटर
यह à¤à¤µà¤¨ 1061 वरà¥à¤—मीटर में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। à¤à¤µà¤¨ के निरà¥à¤®à¤¾à¤£ का उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ मणिकरà¥à¤£à¤¿à¤•ा घाट पर लकड़ियों का à¤à¤• हाल बना कर वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¿à¤¤ करना तथा ऊपरी मंजिल पर यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ हेतॠसà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ केंदà¥à¤° बनाकर विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ पà¥à¤°à¤•ार की जानकारियों को उपलबà¥à¤§ कराना है। उकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤¨ संपूरà¥à¤£ घाट परिकà¥à¤·à¥‡à¤¤à¥à¤° में आने वाले यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ के लिठन केवल सà¥à¤µà¤¿à¤§à¤¾ केंदà¥à¤° होगा बलà¥à¤•ि घाटों के निकट होने के कारण वà¥à¤¯à¤¾à¤µà¤¸à¤¾à¤¯à¤¿à¤• रूप से à¤à¥€ महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ होगा।
आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• बà¥à¤• सà¥à¤Ÿà¥‹à¤°
यह à¤à¤µà¤¨ 311 वरà¥à¤— मीटर में निरà¥à¤®à¤¿à¤¤ है। उकà¥à¤¤ à¤à¤µà¤¨ सिटी मà¥à¤¯à¥‚जियम व वाराणसी गैलरी के साथ à¤à¤• पà¥à¤²à¤¾à¤œà¤¾ में बनाया गया है, जिसमें आधà¥à¤¯à¤¾à¤¤à¥à¤®à¤¿à¤• पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• का à¤à¤‚डार या दà¥à¤•ान होगी।
गंगा वà¥à¤¯à¥‚ कैफे
इस à¤à¤µà¤¨ का निरà¥à¤®à¤¾à¤£ यातà¥à¤°à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ शà¥à¤°à¤¦à¥à¤§à¤¾à¤²à¥à¤“ं परà¥à¤¯à¤Ÿà¤•ों को काशी à¤à¤µà¤‚ मां गंगा का विहंगम दृशà¥à¤¯ अवलोकित कराने के साथ-साथ अलà¥à¤ª जलपान के दृषà¥à¤Ÿà¤¿à¤—त कराया गया है।